संस्कृत धातुरूप - पृच् (Samskrit Dhaturoop - pRRich)
पृच्
लट्लकारः (आत्मनेपदम्)
|
एकवचनम् |
द्विवचनम् |
बहुवचनम् |
प्रथमपुरुषः |
पृक्ते |
पृचाते |
पृचते |
मध्यमपुरुषः |
पृक्षे |
पृचाथे |
पृग्ध्वे |
उत्तमपुरुषः |
पृचे |
पृच्वहे |
पृच्महे |
लिट्लकारः (आत्मनेपदम्)
|
एकवचनम् |
द्विवचनम् |
बहुवचनम् |
प्रथमपुरुषः |
पपृचे |
पपृचाते |
पपृचिरे |
मध्यमपुरुषः |
पपृचिषे |
पपृचाथे |
पपृचिध्वे |
उत्तमपुरुषः |
पपृचे |
पपृचिवहे |
पपृचिमहे |
लुट्लकारः (आत्मनेपदम्)
|
एकवचनम् |
द्विवचनम् |
बहुवचनम् |
प्रथमपुरुषः |
पर्चिता |
पर्चितारौ |
पर्चितारः |
मध्यमपुरुषः |
पर्चितासे |
पर्चितासाथे |
पर्चिताध्वे |
उत्तमपुरुषः |
पर्चिताहे |
पर्चितास्वहे |
पर्चितास्महे |
लृट्लकारः (आत्मनेपदम्)
|
एकवचनम् |
द्विवचनम् |
बहुवचनम् |
प्रथमपुरुषः |
पर्चिष्यते |
पर्चिष्येते |
पर्चिष्यन्ते |
मध्यमपुरुषः |
पर्चिष्यसे |
पर्चिष्येथे |
पर्चिष्यध्वे |
उत्तमपुरुषः |
पर्चिष्ये |
पर्चिष्यावहे |
पर्चिष्यामहे |
लोट्लकारः (आत्मनेपदम्)
|
एकवचनम् |
द्विवचनम् |
बहुवचनम् |
प्रथमपुरुषः |
पृक्ताम् |
पृचाताम् |
पृचताम् |
मध्यमपुरुषः |
पृक्ष्व |
पृचाथाम् |
पृग्ध्वम् |
उत्तमपुरुषः |
पर्चै |
पर्चावहै |
पर्चामहै |
लङ्लकारः (आत्मनेपदम्)
|
एकवचनम् |
द्विवचनम् |
बहुवचनम् |
प्रथमपुरुषः |
अपृक्त |
अपृचाताम् |
अपृचत |
मध्यमपुरुषः |
अपृक्थाः |
अपृचाथाम् |
अपृग्ध्वम् |
उत्तमपुरुषः |
अपृचि |
अपृच्वहि |
अपृच्महि |
विधिलिङ्लकारः (आत्मनेपदम्)
|
एकवचनम् |
द्विवचनम् |
बहुवचनम् |
प्रथमपुरुषः |
पृचीत |
पृचीयाताम् |
पृचीरन् |
मध्यमपुरुषः |
पृचीथाः |
पृचीयाथाम् |
पृचीध्वम् |
उत्तमपुरुषः |
पृचीय |
पृचीवहि |
पृचीमहि |
आशीर्लिङ्लकारः (आत्मनेपदम्)
|
एकवचनम् |
द्विवचनम् |
बहुवचनम् |
प्रथमपुरुषः |
पर्चिषीष्ट |
पर्चिषीयास्ताम् |
पर्चिषीरन् |
मध्यमपुरुषः |
पर्चिषीष्ठाः |
पर्चिषीयास्थाम् |
पर्चिषीध्वम् |
उत्तमपुरुषः |
पर्चिषीय |
पर्चिषीवहि |
पर्चिषीमहि |
लुङ्लकारः (आत्मनेपदम्)
|
एकवचनम् |
द्विवचनम् |
बहुवचनम् |
प्रथमपुरुषः |
अपर्चिष्ट |
अपर्चिषाताम् |
अपर्चिषत |
मध्यमपुरुषः |
अपर्चिष्ठाः |
अपर्चिषाथाम् |
अपर्चिध्वम् |
उत्तमपुरुषः |
अपर्चिषि |
अपर्चिष्वहि |
अपर्चिष्महि |
लृङ्लकारः (आत्मनेपदम्)
|
एकवचनम् |
द्विवचनम् |
बहुवचनम् |
प्रथमपुरुषः |
अपर्चिष्यत |
अपर्चिष्येताम् |
अपर्चिष्यन्त |
मध्यमपुरुषः |
अपर्चिष्यथाः |
अपर्चिष्येथाम् |
अपर्चिष्यध्वम् |
उत्तमपुरुषः |
अपर्चिष्ये |
अपर्चिष्यावहि |
अपर्चिष्यामहि |