संस्कृत रचना - गायत्री मन्त्र (Samskrit text - गायत्री मन्त्र)
गायत्री मन्त्र
ॐ भूर् भुवः स्वः तत् सवितुर्वरेण्यं ।
भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात् ॥
हिन्दी में अर्थ
उस प्राणस्वरूप, दुखनाशक, सुख स्वरुप, तेजस्वी, श्रेष्ठ, पापनाशक, दिव्य परमात्मा को हम अपनी अंतरात्मा में धारण करें. जो हमारी बुद्धि को सन्मार्ग में प्रेरित करें |
Meaning in English
That which is misery destroyer, happy, glorious, supreme, sin destroyer, devotional divine, we worship the divine god in conscience.
That divine will inspire our intellect in the pathway.